महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल कॉलेज, दरभंगा के स्नातकोत्तर रसायन विभाग की ओर से आज 20 मार्च 2023 को खाद्य पदार्थों में मिलावट के दुष्परिणाम विषय पर हुई एक दिवसीय संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर हो रही तरह – तरह की मिलावट और स्वास्थ्य पर हो रहे उसके घातक असर पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने इस मिलावट से बचने के उपाय भी बताए। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ शंभु कुमार यादव ने की।
संगोष्ठी में बीजभाषण करते हुए विश्वविद्यालय रसायन विज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अब्दुल समद अंसारी ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावट के बहुविध प्रकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि इसके कारण कैंसर, लीवर फेलियोर, किडनी की खराबी, थायराइड, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां तेजी से फैलती जा रही हैं। स्थिति यह है कि स्कूल जाने वाले 20% बच्चे इसके कारण ब्लड प्रेशर के शिकार हो चुके हैं। मिलावट के कारण खाद्य पदार्थों में पौष्टिकता कम होती जा रही है। फलतः लोगों को भोजन के माध्यम से पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि खाद्य पदार्थों में मिलावट के परिणामस्वरुप हम लोग एक ग्राम पेस्टिसाइड प्रतिदिन ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि सेब बगान से टूटकर बाजार तक आने के क्रम में 17 बार रसायन उपचारित किया जाता हैं। इसी प्रकार दाल को बाजार तक लाने से पूर्व तीन बार रसायन उपचारित किया जाता है। खाद्य पदार्थों को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए उसमें लाश को गलने से बचाने वाले फॉर्मीलीन का इस्तेमाल किया जाता है। सब्जी, फल आदि को ताजा रखने के लिए इसे यूरिया से उपचारित किया जाता है।इसी प्रकार आम, केला आदि को पकाने के लिए धड़ल्ले से कार्बाइड का इस्तेमाल हो रहा है। इस सब का मनुष्य की सेहत पर घातक असर हो रहा है। डॉ अंसारी ने कहा कि खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट और उसके दुष्परिणाम से बचने के लिए हमें भी जापानी पद्धति को अपनाकर स्वयं द्वारा उपजाए गए फल सब्जी आदि का सेवन करना सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि जापान के पास जमीन कम है । वहां प्रति किलोमीटर जनसंख्या घनत्व 512 है जबकि भारत मे यह 216 है । फिर भी जापान छतों पर सब्जियां उगा कर सऊदी अरब को सप्लाई करता है।
मुख्य अतिथि के रूप में भी विश्वविद्यालय रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर प्रेम मोहन मिश्रा ने कहा कि खाद्य पदार्थों में मिलावट से तात्पर्य सिर्फ इतना ही नहीं है कि उसमें कुछ मिला दिया जाए। खाद्य पदार्थों में संचित प्राकृतिक तत्वों को निकाल लेना भी मिलावट की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि बाजार में बिक रहे लौंग में से उसका तेल पहले ही निकाल लिया जाता है और हम सिट़्ठी खरीद कर घर ले जाते हैं। इसी प्रकार चावल की भी ऊपरी परत को भी निकाल कर उसका तेल बना लिया जाता है जिससे बाजार में उपलब्ध चावल की पौष्टिकता और गुणवत्ता बहुत कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस मिलावट के प्रति स्वास्थ्य कारणों से सचेत रहने की आवश्यकता है। जहां तक संभव हो, वहां तक हम प्राकृतिक एवं स्वाभाविक रूप से उपजे अन्न, फल सब्जी आदि का इस्तेमाल करें और जिस किसी भी खाद्य पदार्थ में मिलावट की आशंका हो उसकी जांच करा ले।
इस अवसर पर उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए छात्रों को पुरस्कार दिया गया । मो• वारिस अली प्रथम, गुड्डू कुमार मिश्रा द्वितीय, आदित्य नारायण तृतीय, आनंद मोहन झा को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर स्नातक रसायन प्रतिष्ठा सत्र 19-22 के छात्र आदित्य चौधरी को शैक्षणिक उपलब्धि के लिए स्वर्गीय नीमा झा स्मारक पुरस्कार एवं नगद 1501 रूपया भी प्रोफेसर लोकनाथ झा के सौजन्य से प्रदान किया गया। इस सेमिनार में विषय परिवर्तन डॉक्टर बाबू नंद चौधरी ने किया जो इस सफल आयोजन के संयोजक भी थे। इस कार्यक्रम में रसायन विज्ञान विभाग के सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही। जिसमें डॉक्टर आनन्द मोहन झा की भूमिका सराहनीय रही। मंच संचालन डॉ कालिदास झा ने किया । डॉ रेणुका ठाकुर, डॉ एल के मिश्रा, प्रो लोक नाथ झा, डॉ अनिल कुमार चौधरी, डॉ आनंद मोहन झा, डॉ अजीत चौधरी, डॉ संजय कुमार झा, डॉ संजय कुमार यादव एवं डॉक्टर बबली ज्योति एवं दशरथ चौधरी का योगदान उल्लेखनीय है। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के लगभग सभी शिक्षक तथा विज्ञान संकाय के एक सौ से अधिक प्रतिभागी उपस्थित थे जिसमें लगभग 25 से ज्यादा प्रतिभागियों ने अपना प्रेजेंटेशन दिया।