युवा दिवस के शुभ अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ सतीश कुमार सिंह ने कहां स्वामी विवेकानंद ने भारत की सोई हुई आत्मा को झकझोर कर जगाया। वे भारतीय चेतना के महान अग्रदूत थे। उन्होंने भारतीय चिंतन व दर्शन और अध्यात्म की पवित्र ज्योति को पूरे विश्व में फैलाया। विवेकानंद के लिए राष्ट्र सर्वोपरि और राष्ट्रहित था, उन्होंने युवा पीढ़ी में नई प्रेरणा जगाई। यही कारण है कि उनकी जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है।
अतिथि वक्ता डॉ अमरकांत कुवर ने देश काल की परिस्थितियों को देखते हुए धर्म, दर्शन और अध्यात्म की युग सापेक्ष और समाज सापेक्ष व्याख्या की। इस क्रमश में उन्होंने अनेक प्रचलित मान्यताओं और रुढियों को तोड़ा, यही कारण है कि विवेकानंद के विचार आज भी प्रसांगिक बने हुए हैं। स्वागताध्यक्ष के रूप में कार्यक्रम अधिकारी थोड़ा राष्ट्रीय सेवा योजना डॉ ऋषि कुमार क्षा ने विषय प्रवेश कराते हुए स्वामी जी के प्रति अगाध श्रद्धा निवेदित की। कार्यक्रम में महाविद्यालय के डॉ शांति नाथ सिंह ठाकुर , डॉ कैलाश नाथ मिश्रा,डॉ ऋषिकेश पाठक, डॉ आनंद मोहन, डॉ कुमुद कुमारी के अलावे,कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई व राष्ट्रीय कैडेट कोर के स्वयंसेवकों में श्रेया कुमारी, शालिनी मिश्रा, रोशनी शर्मा, किरण कुमारी, अंशु कुमारी, काजल कुमारी दिशा, कुमारी, मनीषा कुमारी, मगन कुमार पासवान, मनोज कुमार, राकेश कुमार आदि सैकड़ों स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करायी। कार्यक्रम संचालन डॉ ज्वाला चंद्र चौधरी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुबोध चंद्र यादव ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ विनय कुमार झा (बर्सर -सह- परीक्षा नियंत्रक) ने किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने उपस्थित छात्र छात्राओं व स्वयंसेवकों को स्वामी विवेकानंद के अध्यात्म को जीवन में उतारते हुए आगे बढ़ने की सलाह दी
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