वैशाली। राजापाकर प्रखंड क्षेंत्र अंतर्गत रत्नाकर धर्मपुर पंचायत के आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या। 124. पर बच्चों की संख्या मात्र। 14. था।सूत्रों के अनुसार बच्चों की थाली मे थोरा थोरा सा खिचरी देखा गया।वह भी साधरण चावल से बना हूआ खिचरी था।मै सरकार के सिस्टम से सवाल पुछना चाहता हूं कि बच्चे देश के भविष्य होते है।फिर ऐसा पोषाहार क्यो दिया जा रहा है।जबकि सरकार आंगनबाड़ी मे पढने वाले माशूम बच्चों के लिए पौषटीक आहार दिया जा रहा है।फिर भी बच्चों को क्यो नही दिया जाता है।आंगनबाड़ी के सहायिका से पूछताछ मे उसने बताई अभी साप्ताहिक मिनू उपलब्ध नही हूआ है।सहायिका संगीता कुमारी से पुछा गया कि कम बच्चे क्यो है।तो संगीता कुमारी ने कुछ भी बोलने से परहेज की।इससे जगजाहिर होता है कि सरकार द्बारा जो बच्चों के लिए पोषाहार दिया जाता है,उसका बंदरबांट होता है।सूत्रों से ज्ञात हूआ कि सरकार का सभी योजना मे बंदर बांट होता है।जबकि सरकार बच्चों के लिए फल,अंडा हर प्रकार के पोषाहार दिया जाता है।स्थानीय लोगो का यह भी आरोप है कि यहा पर बच्चों को पौषटीक आहार नही मिलता है।जबकि सरकार अच्छी चावल का खिचरी देने का प्रावधान है।लेकिन घटिया चावल का खिचरी बच्चों को खिलाया जाता है।यही है सरकार के सिस्टम का परिणाम।कि बच्चों का आहार आंगनबाड़ी की सहायिका हजम कर जाती है।जबकि 2022 मात्र 20से 21दिन बचा है,अब नया साल 2023 आने वाला है।और भोजन का मिनूअभी तक आंगनबाड़ी मे नही दिया गया है।कहां तक सच बोलती है संगीता देवी सहायिका यह तो जांच का विषय है।मेरा सवाल पुछना अधिकार है।मुझे आरोप लगाने का अधिकार नही है।जनता के कथनानूसार खबर को लिखा हूं।
संवाददाता-राजेन्द्र कुमार।