पटेढ़ी बेलसर: प्रखंड के नगमा पंचायत में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है भाई दूज और चंद्रगुप्त भगवान की पूजा । आज चकिया चकवाजिद में चित्रगुप्त और भाई दूज यमजितिया मनाया और भगवान चित्रगुप्त से अपनी संतानों और बहनों ने भाई के रक्षा के लिए उनसे आशीर्वाद मांगा।
आपको बता दें की प्रत्येक कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है। सभी प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त देवता की पूजा का विशेष महत्व।
कौन हैं भगवान चित्रगुप्त
भगवान चित्रगुप्त परमपिता ब्रह्मा जी के अंश से उत्पन्न हुए है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की और इसके लिए देव-असुर, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी आदि को जन्म दिया तो उसी क्रम में यमराज का भी जन्म हुआ. जिन्हें धर्मराज कहा जाता है, क्योंकि वे धर्म के अनुसार ही प्राणियों को उनके कर्म का फल देते हैं। यमराज ने इस बड़े कार्य के लिए जब ब्रह्मा जी से एक सहयोगी की मांग की तो ब्रह्मा जी ध्यानलीन हो गए और एक हजार वर्ष की तपस्या के बाद एक पुरुष उत्पन्न हुआ, जिसे भगवान चंद्रगुप्त के नाम से जाना गया. चूंकि इस पुरुष का जन्म ब्रह्मा जी की काया हुआ था, अतः इन्हें कायस्थ भी कहा जाता है। यम द्वितीया के दिन यम और यमुना की पूजा के साथ भगवान चित्रगुप्त जी की भी विशेष पूजा की जाती है क्योंकि भगवान चित्रगुप्त यमदेव के सहायक हैं।
चित्रगुप्त भगवान की पूजा का महत्व
व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए चित्रगुप्त की पूजा का बहुत महत्व होता है। इस दिन नए बहीखातों पर ‘श्री’ लिखकर कार्य का आरंभ किया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि कारोबारी अपने कारोबार से जुड़े आय-व्यय का ब्योरा भगवान चित्रगुप्त जी के सामने रखते हैं और उनसे व्यापार में आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद मांगते हैं। भगवान चित्रगुप्त की पूजा में लेखनी-दवात का बहुत महत्व है।