भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र, पूसा, जिला- समस्तीपुर (बिहार) जो भारतीय कृषि शोध के क्षेत्र में सन 1905 से अग्रणी है। इस पर केवल हम बिहारियों को हीं नही वरन सम्पूर्ण भारतवासियों को इस संस्थान पर गर्व है। इसकी ख्याति सम्पूर्ण भारतवर्ष में फैली हुई है।
किंतु आज भ्रष्टाचार/गबन का आलम यह है कि शोधकार्य की बजाय उपरोक्त संस्थान के अध्यक्ष पद पर आसीन अधिकारी डॉ. कान्त कुमार सिंह एवं उनके अधीनस्थ कुछ अन्य अधिकारीगण और कर्मचारीगण इस संस्थान की सम्पत्तियों को लूटने में लगे हुये हैं और इस प्रकार धन अर्जित कर निजी सम्पत्तियाँ अर्जित कर रहे हैं।
उपरोक्त अधिकारियों व कर्मचारियों की सम्पत्तियों की यदि ठीक ढंग से जाँच की जाय तो बड़े पैमाने पर सरकारी धनराशियों और सम्पत्तियों की लूट-खसोट और गबन उजागर होंगे। इस संदर्भ में इसके मुख्यालय भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली, के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र, केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, मुख्य सतर्कता अधिकारी व सचिव, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली, समेत कई अन्य अधिकारियों को शिकायत किये 07 माह व्यतीत हो गये हैं। उन्हें बार-बार स्मरण पत्र भी भेजा गया। किंतु किसी ने भी गबन के मामले में जानबूझकर आज तक कोई कार्यवाई नही किया जिससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि उपरोक्त सभी अधिकारियों/कर्मचारियों की मिलीभगत से गबन को अंजाम दिया जाता है। आज इस संस्थान से भ्रष्टाचार की बू आती है।
यहाँ फसलों को बारिश में सड़ाँ दिया जाता है और उसी बीज को ऊँचे कीमतों पर बेचा जाता है और किसान भी इन्हीं बीजों को उच्च कीमतों पर खरीदने हेतु मारामारी करते फिरते हैं।