सरोज खान को किया गया सुपुर्द-ए-खाक, नम आंखों से अपनों ने दी अंतिम विदाई…

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WC News Desk: बॉलीवुड इंडस्ट्री की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान के निधन से मजोरंजन जगत को तगड़ा झटका लगा है। उन्हें सांस लेने की तकलीफ के चलते 20 जून को मुंबई के बांद्रा में स्थित गुरु नानक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉक्टर्स की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका। सरोज को शुक्रवार सुबह मलाड के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। इस दौरान उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उनके परिवारवाले और कुछ रिश्तेदार ही मौजूद थे। सरोज खान के प्रति शोक प्रकट करने के लिए प्रार्थना सभा तीन दिन बाद होगी।

सरोज खान डायबिटीज और इससे संबंधित बीमारियों से जूझ रही थीं। इसके चलते उन्होंने बीच में अपने काम से एक लंबा ब्रेक लिया था। साल 2019 में सरोज ने ‘कलंक’ और ‘मणिकर्णिकाः द क्वीन ऑफ झांसी’ में एक-एक गाने को कोरियॉग्राफ किया था। ‘कलंक’ में उन्होंने ‘तबाह हो गए’ गाने को कोरियोग्राफ किया था, जिसमें माधुरी दीक्षित ने बेहतरीन डांस कर सभी का दिल जीत लिया था।

गौरतलब है कि सरोज खान पिछले 40 साल में दो हजार से भी ज्यादा गानों को कोरियोग्राफ किया था। उन्होंने फिल्म देवदास के गाने ‘डोला रे डोला’, ‘श्रृंगारम’ के सारे गाने, ‘जब वी मेट’ के ‘ये इश्क हाये’ के लिए नैशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। फिल्म ‘गुरु’, ‘देवदास’, ‘खलनायक’, ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘बेटा’, ‘सैलाब’, ‘चालबाज’ और ‘तेजाब’ के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।

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सरोज के निजी जीवन की बात करें उन्होंने 13 साल की उम्र में इस्लाम धर्म कबूल कर 43 साल के बी. सोहनलाल से शादी कर ली थी। दोनों की उम्र में 30 साल का फासला था। सरोज ने हालांकि सोहनलाल की ये दूसरी शादी थी। पहली शादी से उनके चार बच्चे थे। एक इंटरव्यू में सरोज ने बताया था कि मैंने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कबूल किया था। उस वक्त मुझसे कई लोगों ने पूछा कि मुझ पर कोई दबाव तो नहीं है लेकिन ऐसा नहीं था। मुझे इस्लाम धर्म से प्रेरणा मिलती है।