– डब्ल्यूएचओ ने तंबाकू उत्पादों पर जारी की अलर्ट पोस्टर
– श्वसन तंत्र को करता है प्रभावित
– किसी भी परिस्थिती में तंबाकू का सेवन हानिकारक
मुजफ्फरपुर: आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस है। इस नाते हम सबों की यह जिम्मेवारी बनती है कि हम इसके दुष्प्रभावों के बारे में जाने और दूसरों को भी बताएं। सिगरेट तंबाकू उत्पाद का ही एक रुप है। अगर आप भी सिगरेट पीते हैं तो इसे फौरन बंद कर दिजिए। यह ऐसे तो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है ही कोविड के संक्रमण काल में आपकी यह आदत और भी भयावह हो सकती है। इसे लेकर डब्ल्यूएचओ ने एक अलर्ट पोस्टर भी जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में वायरस के फेफड़ों में प्रवेश करने का खतरा और बढ़ जाता है। इसके साथ ही यह पोस्टर उन खबरों का भी खंडन करती है जिसमें यह कहा गया है कि तंबाकू के प्रयोग से कोरोना का खतरा कम होता है तथा निकोटीन का इस्तेमाल कोरोना के इस्तेमाल के लिए किया जा सकता है।
वायरस के प्रवेश का खतरा ज्यादा
धूम्रपान पहले से ही सर्दी , इन्फलूएंजा, निमोनिया और तपेदिक सहित अन्य श्वसन संक्रमणें के लिए एक जोखित कारक के रुप में जाना जाता है। तंबाकू का उपयोग श्वसन तंत्र पर प्रभावी असर डालता है। इस कारण ऑक्सीजन और कार्बनडाइक्साइट छोड़ने की क्षमता घट जाती है और बलगम का निर्माण होता है। वहीं कोविड 19 वायरस भी मुख्य रुप से श्वसन तंत्र को ही प्रभावित करता है। जिससे इसके संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
हुक्का भी फैला सकता है संक्रमण
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वाटरपाइप या हुक्के का इस्तेमाल ज्यादातर समूह में होता है। वहीं इसके अलावा यह एक व्यक्ति से दूसरे के हाथ में जाता है और एक ही मुंह के माध्यम से इसे सभी पीते हैं। ऐसे में हुक्के के माध्यम से पीने वाला आदमी माइक्रो आर्गनिज्म से प्रभावित हो जाता है। जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
आपके धूम्रपान से परिवार को हानि
धूम्रपान न केवल धूम्रपान करने वाले को प्रभावित करता है बल्कि उसके सहयोगियों, मित्रों और परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचाता है। सेकेंड हैंड स्मोकर यानी धूम्रपान करने वालों के साथ रहने वाला भी धूम्रमान करने वाले जितना ही प्रभावित होता है। वहीं महिलाओं में इसके सेवन से मृत प्रसव और नवजात की शीघ्र मृत्यु भी हो सकती है। जन्म के समय शिशुओं का वजन भी कम हो सकता है।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे-2 के अनुसार:
• बिहार में 25.9% लोग किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें 20.8 प्रतिशत लोग स्मोकलेस तम्बाकू का इस्तेमाल करते हैं( जैसे खैनी, गुटखा एवं पान मसाला)
• बिहार में 15 से 17 साल की आयु के बीच 24% लोग तम्बाकू इस्तेमाल शुरू कर देते हैं
• देश में 28.6% लोग किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं
• देश में 42.4% पुरुष एवं 14.2% महिलाएं तम्बाकू उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं
• देश में 12.2% लोग 15 साल की आयु से पूर्व ही तम्बाकू उत्पादों का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं