मद्रास उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने कथित आयकर चोरी मामले में कीर्ति चिदंबरम और उनकी पत्नी की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
वही दूसरे ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया।
कर चोरी मामले में आरोप तय करने के खिलाफ याचिका की सुनवाई के लिए जब कीर्ति चिदंबरम और उनकी पत्नी श्रीनिधि चिदंबरम के खिलाफ न्यायमूर्ति अनीता सुमंत के पास मामला आया, तो कर विभाग के वकील ने अदालत को बताया कि एडवांटेज स्ट्रैटेजिक प्राइवेट लिमिटेड से जब्त दस्तावेजों के आधार पर मामला तैयारकिया गया है।
न्यायमूर्ति सुमंत ने मामले से खुद को अलग कर लिया और अदालत को बताया कि चूंकि न्यायमूर्ति ने वकील रहते हुए किसी मामले में उक्त कंपनी के मुकदमे की पैरवी की थी, इसलिए उनके मामले की सुनवाई करना उचित नहीं होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने अनुरोध किया कि अदालत कम से कम मामले की सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दे और विशेष अदालत द्वारा आरोप तय करने पर रोक लगा दे।
हालांकि, कर विभाग के वकील की सुनवाई के बाद, जस्टिस सुमंत ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
जब वरिष्ठ अधिवक्ता ने मामले को तत्काल सुनवाई के लिए अदालत के सामने रखा, तो उसने सोचा कि वह कैसे सुनवाई का संचालन कर सकता है क्योंकि वह एक पोर्टफोलियो न्यायाधीश नहीं है।
हालांकि, बाद में कीर्ति और उनकी पत्नी को इस मामले में अदालत से तत्काल राहत नहीं मिली।