सरकार इस सत्र में कई अहम् बिल पेश करने वाली है जिसमे नागरिकता संशोधन बिल भी है।
इस बार संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवम्बर से सुरु हो जायेगा।
हालाँकि इस बिल का पहले से ही काफी विरोध होता आ रहा है।
जिसमे पूर्वोत्तर के विरोध करने वाले लोगो का कहना है की यदि बिल पास होता है तो इससे हमारी पारम्परिक विरासत, संस्कृति और भाषाओ के साथ खिलवाड़ होगा।
आखिर नागरिकता संशोधन बिल है क्या ?
यह बिल हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाईयों को पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से अवैध दस्तावेजों से भारत की यात्रा पर आये है, या जिनके वैध दस्तावेज की समय सीमा हाल ही के सालो में ख़त्म हुई है, उन्हे भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है। यह बिल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह गैर मुस्लिम अल्पशंख्यक समूहों के लोगो को भारतीय नागरिकता पाने में हो रही बाधाओं को दूर करने का प्रावधान करता हैं।
हालाँकि जनवरी 2019 में नागरिकता संसोधन बिल लोकसभा में पास कर दिया था।
लेकिन विपक्षी पार्टियों ने मिलकर इसका खूब विरोध किया किया जिसके कारन यह राज्य सभा में पास नहीं हो सका।
इसके बाद लोकसभा भांग होने के साथ यह बिल भी रद्द हो गया।
उत्तर पूर्वे के कई राज्य इस विधेयक के विरोध में थे। 18
इसको देखते हुए सरकार ने इसमें संसोधन करने का वादा किया था।
मोदी सरकार एक बार फिर इस बिल को ला रही है लेकिन हमेशा से जिस तरह विपक्षी दाल इस पर सवाल उठाते रहे है।
ऐसे में सरकार के सामने इस संसोधन बिल को दुबारा से दोनों सदनों में पास कराना आसान नहीं होगा।